भारत में कौन सा समुदाय काले हिरण की रक्षा के लिए प्रसिद्ध है
भारत का वह समुदाय जो काले हिरण को बचाने के लिए जाना जाता है: बिश्नोई
भारत की विविध संस्कृति और परंपराओं में पर्यावरण संरक्षण की अमूल्य धरोहर छिपी हुई है। इन्हीं में से एक है राजस्थान का बिश्नोई समुदाय, जो सदियों से प्रकृति और जीव-जंतुओं, विशेष रूप से काले हिरण (blackbuck) की रक्षा के लिए विश्वविख्यात है।
बिश्नोई कौन हैं?
बिश्नोई समुदाय की स्थापना 15वीं शताब्दी में गुरु जंभेश्वर जी ने की थी। उन्होंने 29 नियम (जिन्हें 'बिश्नोई' या 'तीस-नौ' कहा जाता है) बनाए, जिनमें से अनेक नियम प्रकृति और जीवन के संरक्षण से जुड़े हैं। इन नियमों में जीव हत्या न करना, हरा-भरा वृक्ष न काटना और जीव-जंतुओं के प्रति दया भाव रखना शामिल है। उनके लिए, प्रकृति की रक्षा करना धर्म का एक अभिन्न अंग है।
काले हिरण और बिश्नोई का पवित्र रिश्ता
बिश्नोई समुदाय काले हिरण को केवल एक जानवर नहीं, बल्कि एक पवित्र प्राणी मानता है। किंवदंतियों के अनुसार, गुरु जंभेश्वर जी ने काले हिरण के रूप में अवतार लिया था। इस वजह से काले हिरण को उनका रूप माना जाता है और इसे पूरा संरक्षण दिया जाता है।
बिश्नोई गाँवों में आप अक्सर काले हिरणों को मनुष्यों के बीच स्वतंत्र विचरण करते हुए देख सकते हैं। वे इन्हें पानी पिलाते हैं, चारा देते हैं और इनकी सुरक्षा करते हैं। कोई भी बिश्नोई काले हिरण का शिकार नहीं करता और न ही किसी को करने देता है।
इतिहास का सबूत: खेजड़ली बलिदान
बिश्नोई समुदाय के प्रकृति प्रेम की सबसे बड़ी मिसाल 1730 की खेजड़ली बलिदान घटना है। जब जोधपुर के महाराजा ने खेजड़ी के पेड़ काटने के लिए अपने सैनिक भेजे, तो अमृता देवी बिश्नोई ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। उनके इस बलिदान से प्रेरित होकर 363 लोगों ने पेड़ों से चिपक कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। यह घटना पर्यावरण संरक्षण के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है और यह दर्शाती है कि बिश्नोई अपने सिद्धांतों के लिए कितने समर्पित हैं।
वन्यजीव संरक्षण में योगदान
बिश्नोई समुदाय के इस अथक प्रयास का ही नतीजा है कि राजस्थान के कई इलाकों, खासकर जोधपुर, बीकानेर और नागौर के आसपास, काले हिरणों की संख्या बनी हुई है। वे न केवल काले हिरण, बल्कि चिंकारा, मोर और अन्य वन्यजीवों की भी समान रूप से रक्षा करते हैं। उनके इस संरक्षण भाव को देखते हुए भारत सरकार ने भी उनकी सराहना की है।
बिश्नोई समुदाय दुनिया के सामने एक जीता-जागता उदाहरण है कि जब संरक्षण की भावना आस्था और संस्कृति का हिस्सा बन जाए, तो उसकी शक्ति अद्भुत होती है। आधुनिक युग में जब वन्यजीव और पर्यावरण संकट में हैं, बिश्नोई समुदाय का काले हिरण के प्रति प्रेम और सुरक्षा का यह मॉडल पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणा है।
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